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चूहों की बारात - प्रतियोगिता हेतु कहानी -15-Jun-2022

बबिता और रोहिता बहुत अच्छी सहेलियाँ थीं। एक-दूसरे के दुख में दुखी होतीं और दूसरे के सुख से सुखी होती। कॉलेज की पढ़ाई ख़तम होते ही दोनों की शादी हो गयी। बबिता का परिवार पुराने ख्यालों का था और रोहिता का खुले विचारों का। दोनों अपने-अपने घर में बहुत खुश थीं। बबिता का दुर्भाग्य था कि शादी के अगले माह ही उसके पति की कार दुर्घटना में मृत्यु हो गयी। सास कहती, "कितनी मनहूस है, घर में कदम रखा नहीं कि मेरे बेटे को खा गयी।"
बबिता को घरवालों ने मनहूस कह दिन-रात सताना शुरू कर दिया। सारे दिन घर के काम करती, खाने को बासी रोटी और सोने के लिए घर कबाड़घर, यही थी बबिता की ज़िन्दगी। बबिता के माता-पिता ने इसे उसकी किस्मत समझ स्वीकार कर लिया।

रोहिता जब भी बबिता को कॉल करती  बबिता कहती, "क्या करूँ समय ही नहीं मिलता बात करने का, घर में कोई भी मेरे बिना एक पल नहीं रह पाता। सब पलकों पर बिठा कर रखते हैं। कोई अकेले रहने ही नहीं देता।" रोहिता बोली, "ये सुनकर सुकून मिलता है कि तुझे एक अच्छा परिवार मिला है जो तेरा इतना ख्याल रखता है।" यूँ ही समय बीतता गया।

बबिता का जन्मदिन आया। रोहिता का मन बहुत बेचैन था उससे मिलने के लिए। रोहिता के पति समीर ने कहा, "रोहिता मुझसे तुम्हारी ये बेचैनी नहीं देखी जा रही। मेरे पास एक बहुत अच्छा उपाय है। हम बबिता के घर केक और गिफ्ट लेकर चलते हैं। हमें देखकर उसकी खुशी दुगुनी हो जाएगी।" रोहिता की खुशी का ठिकाना न रहा। उसने कहा, " ये तो बहुत  अच्छा सुझाव दिया आपने, मैं जल्दी से तैयार होकर आती हूँ।"

रोहिता और समीर ने केक और गिफ्ट लिया और बबिता के घर पहुँच गए। रोहिता ने खुशी-खुशी बबिता के दरवाज़े की घंटी बजाई। बबिता ने दरवाज़ा खोला। रोहिता बबिता की हालत देखकर दंग रह गयी,  मैले-कुचैले पुराने कपड़ों में, बिखरे बाल, मुरझाया हुआ चेहरा। रोहिता को देखकर बबिता तेज़ी से वहाँ से अंदर भागी और अपनी हालत सुधारने लगी।   रोहिता उसके पीछे भागी।
बबिता के कबाड़खाने वाले कमरे को देखकर रोहिता ने कहा, "ये सब क्या है बबिता? तुमने तो कहा था कि सब तुमसे बहुत प्यार करते हैं, राजकुमारी सा रखते हैं लेकिन तुम्हें देखकर तो ऐसा नहीं लगा रहा।" बबिता बोली, अरे नहीं, वह तो मेरा मन नहीं लग रहा था इसलिए घर की थोड़ी सफाई करने लगा गयी।" तभी बबिता की सास की आवाज़ आई, "कहाँ मर गयी मनहूस, आज कुछ खाने को मिलेगा या पड़ी-पड़ी आराम ही करती रहेगी।" रोहिता सुनकर सब कुछ समझ चुकी थी। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था किंतु बबिता ने उससे चुपचाप वहाँ से जाने की प्रार्थना की।

रोहिता ने बबिता को उस नरक की ज़िंदगी ने निकलने का निर्णय किया। उसने घर जाकर समीर को सारी बात बताई। समीर और रोहिता बात ही कर रहे थे कि तभी रोहिता ने देखा कि समीर का भाई रसाल जो कि उनका कॉलेज का दोस्त भी था, दोनों की बातें सुनकर रो रहा था। समीर और रोहिता ने उसे बुलाकर कारण पूछा। रसाल पहले तो आनाकानी करता रहा। बाद में उसने कहा, "भाई-भाभी मैं बबिता को कॉलेज के समय से बहुत प्यार करता था किंतु उसने कभी कुछ नहीं कहा। जब सोचा उसे इस बारे में बताऊंगा तब तक उसकी शादी तय होने की खबर पता चली। भाभी से पता चला था कि वह अपनी ज़िन्दगी में खुश है तो मैंने भी अपने मन को समझा दिया था किंतु आज उसकी हालत जानकर अपने आपको रोक न सका। काश! मैं उसकी मदद कर पाता।"

रोहिता और समीर के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। समीर ने कहा, "क्या तुम सच में बबिता के लिए कुछ करना चाहते हो?" रसाल बोला, "हाँ भाई, लेकिन मैं क्या कर सकता हूँ?" समीर ने कहा, "उससे शादी करोगे?" रोहिता और रसाल समीर का मुँह देखने लगे। समीर ने कहा,"तुम दोनों बबिता को उस नरक से निकाल खुशियाँ देना चाहते हो, सोचो ऐसा करके रसाल को उसका प्यार मिल जाएगा, बबिता के जीवन को नई दिशा मिलेगी और तुम अपनी दोस्त को उस नरक की ज़िन्दगी से निकल पाओगी। "रोहिता बोली, समीर किंतु समाज, उसका परिवार क्या इसे स्वीकार करेंगे।" रसाल बोला, "भाभी, भैया सही कह रहे हैं। समाज जिससे हम डरते हैं वह तो चूहे की बारात ले कुरीतियों को बढ़ावा देने खड़ा हो जाता है और शेर की एक दहाड़ से शांत हो जाता है। आपको बस बबिता को समझाना होगा।

रोहिता ने बबिता से बात की। बबिता राजी नहीं हुई। उसने भी समाज, घर-परिवार की बात की। उसने कहा,"रोहिता, ये सब सुनने और कहने में जितना आसान है उतना ही मुश्किल है करना। मैं इसे ही अपनी किस्मत मान चुकी हूँ, अब मुझमें हिम्मत नहीं है समाज से लड़ने की।" रोहिता बोली,"बबिता, समाज तुम्हें अत्याचार से बचाने और तुम्हारे जीवन में खुशियाँ लेकर नहीं आएगा। लोगों की भीड़ चूहे की बारात की तरह है जो मज़े लेने के लिए इकट्ठा होती है। किसी को तो इसलिए कुरीति के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी। तुम जैसी और महिलाएं जो ऐसे अत्याचार को सह रही हैं, उनके लिए तुम्हें प्रेरणास्त्रोत बनना होगा। तुम्हें मेरी कसम है, हाँ कर दो।"

रोहिता के समझाने पर बबिता मान गयी। रोहिता ने अपने पति के साथ मिलकर रसाल और बबिता की पहले मंदिर में, फिर कोर्ट में शादी करवा दी। बबिता के ससुराल वालों ने रोहिता और उसके परिवार के खिलाफ़ पुलिस में रिपोर्ट करी कि उन्होंने बबिता को अग़वा किया किंतु बबिता ने सारी सच्चाई पुलिस को बता दी।

आस-पड़ोस वालों ने तरह-तरह की बातें बनाई तथा बबिता को ताने भी मारे किंतु रोहिता और समीर के जवाब ने सबका मुँह बंद कर दिया।
बबिता को रसाल के संग एक नया संसार मिल गया था। जिन खुशियों के सपने भी उसे देखने का हक़ नहीं था, आज वे सारी खुशियाँ उसकी झोली में थीं। उसने रोहिता से कहा,"तुमने तो मेरी ज़िन्दगी बदल दी वरना मैं चूहों की बारात के डर से जीना छोड़ चुकी थी। " रोहिता ने बबिता को गले से लगा लिया और कहा, "जब तक हम दोनों साथ हैं, दुख हमारे पास भी नहीं आएगा।" दोनों हँसने लगीं।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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8 Comments

Seema Priyadarshini sahay

17-Jun-2022 05:08 PM

बहुत खूबसूरत

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Zakirhusain Abbas Chougule

16-Jun-2022 02:08 PM

Very nice

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Punam verma

16-Jun-2022 10:44 AM

Nice

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Dr. Arpita Agrawal

16-Jun-2022 12:23 PM

Thank you Punam ji 😊😊

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